14% लॉजिस्टिक कॉस्ट के आंकड़े पर PM-EAC के सदस्य उठाया सवाल, कहा- लागत का आधार समझ से बाहर
Logistics Cost: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (PM-EAC) के सदस्य राकेश मोहन ने कहा कि देश में लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 14% होने का आधार उनकी समझ से परे है.
लॉजिस्टिक कॉस्ट निर्धारण के लिए बनेगा टास्क फोर्स. (Image- Canva)
लॉजिस्टिक कॉस्ट निर्धारण के लिए बनेगा टास्क फोर्स. (Image- Canva)
Logistics Cost: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (PM-EAC) के सदस्य राकेश मोहन ने कहा कि देश में लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 14% होने का आधार उनकी समझ से परे है. यह महत्वपूर्ण है कि इसी लागत के आधार पर प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI Scheme) योजना जैसे सरकारी कार्यक्रम शुरू किये गये हैं. इकोनॉमिक थिंक टैंक ICRIER (इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल एकोनॉमिक रिलेशंस) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन ने कहा कि वह यह समझने में असमर्थ हैं कि शोध संस्थान या शोधकर्ता आखिर कैसे 14% लॉजिस्टिक कॉस्ट के आंकड़े पर पहुंचे.
लॉजिस्टिक कॉस्ट कम करने के लिए आई दो स्कीम
रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर ने कहा, आमतौर पर यह स्वीकार किया जाता है कि भारत में लॉजिस्टिक कॉस्ट वैश्विक मानक के मुकाबले काफी ऊंची है. लेकिन मैं यह कभी समझ नहीं पाया कि इस आंकड़े का आधार क्या है. रिपोर्ट (इक्रियर रिपोर्ट) में हमेशा देश की लॉजिस्टिक लागत जीडीपी के 14% पर होने की बात कही जाती है. सरकार इस अनुमान को मानती है कि लॉजिस्टक लागत देश के GDP के करीब 13 से 14% है. इसके साथ सरकार ने उद्योग की प्रतिस्पर्धी बनाने और लॉजिस्टिक कॉस्ट में कमी लाने के लिए नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी (National Logistics Policy) और पीएम गतिशक्ति पहल शुरू की है.
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मोहन ने कहा, यह समझ से बाहर है. सकल घरेलू उत्पाद में मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा 17% है. यानी आप कह रहे हैं कि लॉजिस्टिक कॉस्ट देश में जोड़े गये मैन्युफैक्चरिंग प्राइस के बराबर है. उन्होंने कहा कि देश की लॉजिस्टिक कॉस्ट GDP के 14% होने के आधार पर पीएलआई योजना (PLI Scheme) लाई गई है और उद्योग इसे पसंद कर रहे हैं. पीएमईएसी के सदस्य ने कहा, उद्योग जगत के लोग कहते हैं कि हम उच्च लॉजिस्टिक कॉस्ट के कारण प्रतिस्पर्धी नहीं हैं. इसीलिए मुझे पैसा दीजिए. साथ ही वे यह भी कहते हैं कि किसानों को पैसा मत दीजिए.
14 सेक्टर के लिए PLI स्कीम
बता दें कि सरकार ने टेक्सटाइल, ऑटो कम्पोनेंट्स समेत 14 सेक्टर्स के लिए पीएलआई योजनाएं शुरू की हैं. इस योजना का मकसद डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को प्रतिस्पर्धी बनाना, विनिर्माण के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अगुवा बनाना, निर्यात को बढ़ावा देना और रोजगार पैदा करना है. उन्होंने कहा, इन चीजों को लेकर गंभीरता से कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि इससे वास्तव में सरकारी पैसा खर्च होता है.
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मोहन ने कहा कि इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट एनसीएईआर (नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकनॉमिक रिसर्च) की रिपोर्ट में 2017-18 में भारत की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट GDP के 8.8% होने का अनुमान लगाया गया है. यह अन्य देशों की तुलना में अधिक नहीं है. यह रिपोर्ट 2019 में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की लॉजिस्टिक इकाई को सौंपी गयी थी. उन्होंने कहा, लेकिन कभी भी कोई इस रिपोर्ट का जिक्र नहीं करता. हम लगातार आर्थिक समीक्षा के आंकड़े को दोहराते हैं जो एनसीएईआर की 2017-18 की रिपोर्ट के बाद आई.
लॉजिस्टिक कॉस्ट निर्धारण के लिए बनेगा टास्क फोर्स
वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में देश में लॉजिस्टिक कॉस्ट जीडीपी (GDP) के 14 से 18% होने की बात कही गयी है. जबकि वैश्विक मानक 8% है. मोहन के अनुसार, यह सही है कि देश मैन्युफैक्चरिंग और खासकर श्रम के अधिक उपयोग वाले उत्पादों के मामले में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी नहीं है. बता दें कि पिछले महीने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा था कि देश में लॉजिस्टक लागत (Logistics Cos) के निर्धारण के लिये फ्रेमवर्क तैयार के लिए टास्क फोर्स बनाया जाएगा.
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07:47 PM IST